आपकी जानकारी के लिए बता दें कि केंद्रीय विश्वविद्यालय जम्मू में इस सत्र से तुलनात्मक धर्म में पीजी डिग्री शुरू होगी। जानकारी के अनुसार 30 सीटों पर छात्रों को केंद्रीय विश्वविद्यालय संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा के आधार पर दाखिला दिया जाएगा। अगर सीयूईटी के तहत सीटें नहीं भरी जातीं तो विश्वविद्यालय अपने स्तर पर लिखित प्रवेश परीक्षा लेगा और छात्रों को दाखिला देगा। इसके साथ ही इससे पहले तुलनात्मक धर्म और सभ्यता केंद्र विभाग में सिर्फ पीएचडी, शैव दर्शन, ब्राह्मा और शारदा लिपि में पीजी डिप्लोमा करवाया जाता था। छात्रों को धर्म का ज्ञान प्रदान करने के लिए विभाग ने डिग्री कार्यक्रम शुरू करने का अहम निर्णय लिया ताकि देश भर के छात्रों के साथ-साथ प्रदेश के छात्रों को भी लाभ पहुंचे। जानकारी के अनुसार विभाग के निदेशक डॉ. अजय कुमार सिंह ने बताया कि केंद्रीय नियम के तहत छात्रों को दाखिले में आरक्षण भी मिलेगा। उन्होंने कहा कि धर्म की शिक्षा के प्रचार प्रसार के लिए जुलाई 2016 में केंद्र को शुरू किया गया था। उन्होंने स्पष्ट किया कि उन्नीसवीं शताब्दी के वैज्ञानिक धर्मों के अकादमिक अध्ययन को अन्य विज्ञानों की तरह अवलोकन और वस्तुनिष्ठता विश्लेषण पर आधारित एक ”वैज्ञानिक” विषय के रूप में समझा गया था। उसी को ध्यान में रखते हुए विभाग को खोलने की जरूरत पड़ी। उन्होंने कहा कि कश्मीर में शैव दर्शन की लंबी परंपरा रही है। इसके साथ ही उस परंपरा से छात्रों को दोबारा फिर से अवगत करवाने का प्रयास जारी है। बता दें कि अब शैव दर्शन में कई सालों से डिप्लोमा भी करवाया जा रहा है। अधिक संख्या में छात्र शैव दर्शन का ज्ञान प्राप्त कर रहे हैं। इसके अलावा अभिनव गुप्त, भट, लोलट और आनंदवर्धन आदि संस्कृत आचार्य भी कश्मीर से संबंध रखते थे। नए कोर्स के माध्यम से छात्रों को नवीन विषयों के बारे में जानने और समझने का मौका मिलेगा।