बता दें कि कश्मीर की स्थिति में हाल के कुछ वर्षों में काफी सुधार हुआ है, लेकिन सेना की वापसी का अभी समय नहीं आया है। इस बारे में यह बात चिनार कोर के जीओसी लेफ्टिनेंट जनरल अमनदीप सिंह औजला ने एक साक्षात्कार में कही। उन्होंने बताया कि घाटी में सक्रिय आतंकवादियों की संख्या 34 वर्षों में अब सबसे कम है। एक समाचार एजेंसी के साथ बातचीत में जीओसी ने कहा कि कश्मीर की समृद्धि और फलने-फूलने के लिए सरकार की योजनाओं में सेना सिर्फ एक माध्यम है। इसके साथ ही हम राज्य प्रशासन और अन्य एजेंसियों के साथ संयुक्त रूप से काम करेंगे, ताकि हम वापसी के निर्णय लेने से पहले बदलाव को महसूस कर सकें। यह फैसला केंद्र सरकार की ओर से उचित समय पर लिया जाएगा। लेफ्टिनेंट जनरल औजला ने कहा कि तीस साल पहले वह एक युवा अधिकारी के रूप में घाटी में आए थे। अब चीजें पहले से बेहतर हो गई हैं। जानकारी के अनुसार खास कर अगस्त 2019 के साढ़े तीन साल बाद काफी हद तक चीजें सही जगह पर आ गई हैं। कश्मीर में काफी मेहनत और बलिदान के बाद सामान्य स्थिति और शांति हासिल हुई है। अभी भी बहुत कुछ है, जिसे कवर करने की जरूरत है। कम से कम, हम सही रास्ते पर हैं। केंद्र शासित प्रशासन द्वारा किए गए विकास कार्यों ने बड़े पैमाने पर बदलाव लाया है। सेना नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार है। हालांकि पाकिस्तानियों की मंशा नहीं बदली है। हम एलओसी पर काफी मजबूत और इस तरह की घटनाओं का ध्यान रख सकते हैं। दक्षिण कश्मीर में आतंकवादियों की मौजूदगी के बारे में कहा कि संख्याएं सही तस्वीर नहीं देती हैं, लेकिन यह कहना पर्याप्त है कि हम आतंकवाद को नियंत्रित करने में सक्षम हैं। फिलहाल संख्या पहले के मुकाबले बहुत कम हो गई है। सुरक्षा एजेंसियां आपसी समन्वय के साथ काम कर रही हैं। स्थिति काफी हद तक नियंत्रण में हैं।