आपकी जानकारी के लिए बता दें कि खबर यह है कि सरकारी मेडिकल कॉलेजों और डेंटल कॉलेजों के विभिन्न विभागों के एचओडी की प्राइवेट प्रेक्टिस पर प्रतिबंध लगा सकती है। साथ ही इसके लिए विभागीय स्तर पर तैयारी चल रही है। हालांकि इस तरह का आदेश एक बार पहले भी जारी हो चुका है लेकिन इसे लागू नहीं किया गया। स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग ने जून 2016 में पहली बार एक सर्कुलर जारी कर मेडिकल कॉलेजोंए डेंटल कालेजों और सहायक अस्पतालों के एचओडी की प्राइवेट प्रेक्टिस पर प्रतिबंध लगा दिया था। कॉलेजों के प्रिंसिपलों से इस सर्कुलर को लागू करने की जिम्मेदारी दी गई थी लेकिन इसे कभी भी लागू नहीं किया जा सका। जानक हालांकि कई बार प्राइवेट प्रेक्टिस पर प्रतिबंध लगाने की मांग होती रही। एक समिति का गठन भी किया गया और समिति ने सभी डाक्टरों की प्राइवेट प्रेक्टिस पर प्रतिबंध लगाने की सलाह दी। स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के सूत्रों का कहना है कि विभाग एक बार फिर से मेडिकल और डेंटल कालेजों के विभागाध्यक्षों की प्राइवेट प्रेक्टिस पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी कर रही है। विभाग के एक अधिकारी के अनुसार एचओडी की प्राइवेट प्रेक्टिस पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है। इसके बाद अन्य फैकल्टी सदस्यों की प्राइवेट प्रेक्टिस पर भी प्रतिबंध लगाया जा सकता है। इस समय जम्मू.कश्मीर में सात सरकारी मेडिकल कालेज और दो डेंटल कालेज हैं। दो नए मेडिकल कालेज ऊधमपुर और हंदवाड़ा में भी खुलने जा रहे हैं। इससे मेडिकल कालेजों की संख्या नौ हो जाएगी। विभागीय अधिकारियों का मानना है कि एचओडी की प्राइवेट प्रेक्टिस पर प्रतिबंध लगाने से मेडिकल और डेंटल कालेजों में सुधार होगा।