आपकी जानकाएरी के लिए बता दें कि मेजर आशीष की पार्थिव देह शुक्रवार सुबह सात बजे टीडीआई पहुंची तो उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए जनसैलाब उमड़ आया। इस दौरान पिता लालचंद ने बेटे का शव देखा तो उनके पैरों में खड़े होने की हिम्मत तक नहीं बची, इस दौरान उन्होंने कहा कि अब कैसे जी पाएंगे। लोगों ने उन्हें सहारा देकर कुछ देर बाहर खुली हवा में बैठाया। बेटे के दर्शन करने के लिए बेचैन पिता चंद मिनटों में ही वापिस अंदर चले गए। शहीद मेजर आशीष को उनके पिता लालचंद और चचेरे भाई मेजर विकास ने मुखाग्नि दी। मेजर विकास भारतीय सिविल सेवा में झांसी में तैनात हैं। वह शुक्रवार को ही अपने घर पहुंचे थे।उन्होंने बाकायदा वर्दी पहनकर अपने शहीद भाई मेजर आशीष को अंतिम विदाई दी, वहीं शहीद मेजर की पत्नी ज्योति, मां कमला और बेटी वामिका भी श्मशान घाट में पहुंची। मेजर आशीष की तीनों बहनों ने उनको सैल्यूट किया और भारत मां के जयकारे लगाकर मेजर आशीष को अंतिम विदाई दी। वहीं, बहन सुमन, ममता, अजू ने वी प्राउड ऑवर ब्रदर कहकर भाई आशीष को देश का बेटा बताया। शवयात्रा के दौरान बहन भाई आशीष को सैल्यूट करती रही और सिख लाइट इंफेंट्री के जवान मेजर आशीष अमर रहे के नारेबाजी करते रहे। 8:43 बजे शवयात्रा बिंझौल गांव के लिए रवाना हुई तो रास्ते में लोगों ने फूलों की वर्षा कर श्रद्धांजलि दी। गमगीन माहौल में लोगों ने परिवार का ढांढस बंधाया। जवान बेटे आशीष का शव देख शुरू से मजबूत बनी मां कमला का भी कलेजे का दर्द फूट पड़ा। मां ने सेल्यूट कर बेटे आशीष की शहादत पर गर्व जताया।