आपकी जानकारी के लिए बता दें कि जम्मू-कश्मीर के डोडा-किश्तवाड़ क्षेत्र में बीते दिनों लगे भूकंप के झटकों ने भले ही लोगों में दहशत पैदा कर दी है, लेकिन भूकंपीय विशेषज्ञ इसे क्षेत्र के अच्छा मानते हैं। इसके साथ ही उनका कहना है कि छोटे पैमाने के आने वाले भूकंप वास्तव में बड़ी आपदाओं को रोकने में मदद करते हैं। भद्रवाह में पर्वतीय पर्यावरण संस्थान के प्रमुख नीरज शर्मा कहते हैं कि छोटे पैमाने पर भूकंप और इसके बाद आने वाले लगातार झटकों से विवर्तनिक तनाव जारी होता है। इस प्रकार बड़ी आपदाएं आने की आशंका कम हो जाती है। नीरज शर्मा ने कहा, जम्मू और कश्मीर में लाखों वर्ग किलोमीटर में फैले किश्तवाड़ और रियासी क्षेत्र में बड़ी टेक्टोनिक प्लेट सक्रिय हैं। जानकारी के अनुसार भद्रवाह क्षेत्र में बार-बार आने वाले भूकंप इसी का परिणाम हो सकते हैं पर्वतीय पर्यावरण संस्थान के प्रमुख नीरज शर्मा ने रियासी फॉल्ट को लेकर चिंता जताई है। इसके साथ ही उनका कहना है कि किश्तवाड़ फॉल्ट के विपरीत, रियासी फॉल्ट में दीर्घकालिक तनाव निर्माण झटकों के रूप में बाहर नहीं निकल रहा। अगर छोटे तनाव 5 या 5.5 की तीव्रता तक हल्के भूकंप के रूप में ऊर्जा विकसित और जारी करते हैं, तो हम सुरक्षित हैं और बड़े भूकंप की संभावना कम हो जाती है।