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Jammu Kashmir: जम्मू-कश्मीर में मुस्लिम धर्मस्थलों पर नए फैसले से विवाद,जानिये क्या है पूरा मामला

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आपकी जानकारी के लिए बता दें कि खबर यह है कि जम्मू-कश्मीर मुस्लिम धर्मस्थलों और मस्जिदों पर नियंत्रण को लेकर भारतीय जनता पार्टी (BJP) और विपक्षी दलों के बीच बड़े राजनीतिक टकराव की स्थिति बन रही है. बीजेपी के नेतृत्व वाले जम्मू कश्मीर वक्फ बोर्ड ने एक विवादित आदेश के जरिए पुराने उपदेशकों (इमामों) को बदलने और केंद्र शासित प्रदेश में इमामों, खतीबों (कुरान पढ़ने वालों) और मुअज्जिनों (लोगों प्रार्थना के लिए बुलाने वाले) के चयन और नियुक्ति के लिए पात्रता मानदंड निर्धारित करने का फैसला लिया है. इसके बाद विवाद छिड़ गया है. इसके साथ ही वरिष्ठ बीजेपी नेता डॉ दरख्शां अंद्राबी की अध्यक्षता वाले जम्मू-कश्मीर वक्फ बोर्ड ने नया आदेश जारी कर नई शर्तों के तहत इमाम, खतीब और मुअज्जिन पद के लिए उम्मीदवारों से आवेदन मांगे हैं. नई नियुक्तियां छह महीने की अवधि के लिए अस्थायी आधार पर की जानी हैं, जिसे आगे भी बढ़ाया जा सकता है, लेकिन यही विवाद का मुद्दा बन गया है. विपक्ष को इस कदम में एक भयावह योजना दिख रही है. इस मामले में नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रवक्ता इफरा जान ने बीजेपी के नेतृत्व वाले वक्फ बोर्ड के आदेश की आलोचना करते हुए कहा कि यह मुसलमानों के अधिकारों का उल्लंघन करने का प्रयास है. इफरा ने कहा, “इस तरह के आदेश निर्वाचित सरकारों के लिए छोड़ दिए जाने चाहिए, न कि उन नेताओं पर जो निर्वाचित नहीं हो सके. आप (सरकार) कौन होते हैं ऐसा निर्णय लेने वाले या क्या यह मस्जिदों में भी बीजेपी नेताओं को स्थापित करने का प्रयास है?” आदेश के मुताबिक वक्फ बोर्ड ने इमामों और खतीबों की नियुक्ति के लिए पात्रता मानदंड तय किए हैं. इमाम, खतीब और मुअज्जिन के लिए उम्मीदवारों के पास कम से कम 10वीं कक्षा की शिक्षा होनी चाहिए और सुन्नी हनफ़ी संस्थान से मोलवी-फाजी पाठ्यक्रम प्रमाणपत्र होना चाहिए. जम्मू-कश्मीर वक्फ बोर्ड के कार्यकारी मजिस्ट्रेट तहसीलदार इश्तियाक मोहि-उद-दीन द्वारा जारी आदेश में कहा गया, “जम्मू-कश्मीर वक्फ बोर्ड को अपने नियंत्रण वाले अधिकांश तीर्थस्थलों और मस्जिदों में योग्य इमामों, खतीबों और मुअज्जिनों की कमी का सामना करना पड़ रहा है. वर्तमान इमामों और खतीबों में से कुछ की उम्र अपने कर्तव्यों को प्रभावी ढंग से पूरा करने के लिए बहुत ज्यादा है. आम जनता से प्राप्त अभ्यावेदन भी योग्य इमामों, खतीबों और मुअज्जिनों की नियुक्ति की मांग को उजागर करते हैं.”

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