आपकी जानकारी के लिए बता दें कि खबर यह है कि कश्मीर में अब मंदिरों को जीर्णोद्धार कर श्रद्धालुओं के लिए खोला जा रहा है। साथ करीब 34 साल पहले आतंकवाद का दौर शुरू होने पर घाटी में मंदिरों को निशाना बनाया गया था। एक के बाद एक लगातार मंदिरों को खोला जाना कश्मीर में शांति लौट आने का संकेत है। गांदरबल जिले के प्रसिद्ध पर्यटनस्थल मानसबल इलाके में स्थित प्राचीन शिव मंदिर का जीर्णोद्धार कर श्रद्धालुओं के लिए फिर खोल दिया गया। मानसबल झील किनारे स्थित मंदिर पर्यटकों और अमरनाथ श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। जानकारी के अनुसार श्रीनगर से 29 किलोमीटर दूर गांदरबल जिले के मानसबल इलाके में मानबल झील किनारे प्रसिद्ध मंदिर तीन दशक से बंद पड़ा था। कहा जाता है कि नौवीं शताब्दी में राजा अवंतीवर्मन द्वारा बनवाया छोटा सा मंदिर घाटी में कश्मीरी हिंदुओं का मुख्य पूजा स्थल था। जिले के अन्य हिस्सों में रहने वाले कश्मीरी हिंदू पूजा-पाठ करने आते थे। मंदिर का आधा हिस्सा पानी में है जो पिरामिड आकार का ऊपरी हिस्सा दिखाई पड़ता था। कहा जाता है कि एक कमरे का यह छोटा सा मंदिर शुष्क जमीन पर बनाया था। अंदर भगवान शिव जी की मूर्ति प्रतिष्ठापित थी। मंदिर के पास छोटा तालाब भी था, जिसका पानी श्रद्धालु स्नान तथा पीने में इस्तेमाल करते थे। समय गुजरने के साथ मंदिर झील के पानी में समा गया। इसका ऊपरी हिस्सा ही दिखाई दे रहा था। वर्ष 1989 तक स्थानीय हिंदू सुबह-शाम मंदिर में पूजा करने आते थे।अमरनाथ श्रद्धालु भी आते थे दर्शन करने कुछ कश्मीरी हिंदुओं ने बताया कि श्री अमरनाथ यात्रा के दिनों में इस मंदिर में स्थानीय हिंदुओं के साथ बालटाल के रास्ते पवित्र गुफा के दर्शन के लिए जाने वाले श्रद्धालुओं का जमावड़ा रहता था। इसके साथ ही पवित्र गुफा के दर्शन के बाद वापस इस मंदिर के दर्शन करने तालाब का पानी पीने जरूर आते थे। आतंकवाद शुरू होने पर कश्मीरी हिंदुओं के भारी संख्या में घाटी से पलायन करने के साथ ही यहां के अधिकतर मंदिरों की तरह इसकी भी स्थिति जर्जर हो गई। पत्थर के बने होने से मंदिर को नहीं हुई थी ज्यादा क्षति : वुलर मानसबल विकास प्राधिकरण के सीईओ गुलाम मोहम्मद भट ने कहा कि मंदिर को श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया है। मंदिर पत्थरों से बना है, इससे लंबे समय तक बंद रहने के बावजूद ज्यादा क्षति नहीं पहुंची।