जम्मू कश्मीर की सियासत में आ रहे बदलाव का असर अब कश्मीर केंद्रित दल भी समझने लगे हैं। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती को अपनी खिसकती जमीन नजर आने लगी है। यही कारण है कि महबूबा ने शनिवार को परोक्ष शब्दों में विधानसभा चुनाव न लड़ने का संकेत देते हुए कहा कि चुनाव मेरी प्राथमिकता नहीं है।
यहां जो माहौल बनाया गया है, जो हमारे वजूद को मिटाने की कोशिश हो रही है,उसका मुकाबला कैसे किया जाए। महबूबा से पूर्व नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला भी प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव न लड़ने का एलान कर चुके हैं। अलबत्ता, पीडीपी हो या नेकां, दोनों ही चुनाव लड़ेंगी, सिर्फ दोनों पार्टियों का शीर्ष नेतृत्व चुनाव में किसी जगह से उम्मीदवार नहीं बनेगा, यही संकेत अभी दिया जा रहा है।
यहां पार्टी मुख्यालय में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि चुनाव होंगे, उनमें भाग लेना या न लेना बाद की बात है,लेकिन जहां तक मेरी बात है,मेरे लिए इस समय चुनाव कहीं भी प्राथमिकता नहीं है। जो यहां पकड़-धकड़ का माहौल है, लोगों को बोलने नहीं दिया जाता है,जहां तक की सोच पर भी पहरा बैठया गया है, इसका कैसे मुकाबला किया जाए। पीडीपी अध्यक्ष ने कहा कि भाजपा जम्मू कश्मीर में अपना सांप्रदायिक एजेंडा लागू करना चाहती है। वह जम्मू कश्मीर की सांस्कृतिक, सामाजिक और राजनीतिक पहचान को मिटाना चाहती है। वह लगातार राष्ट्रीय संविधान को नुकसान पहुंचा रही है। पूरे देश में लोग भाजपा की विभाजनकारी नीतियों से तंग हैं। वह जम्मू कश्मीर को हर तरीके से कमजोर करना चाहती है। उसने जम्मू कश्मीर को भारतीय संविधान के तहत प्राप्त विशेषाधिकार छीना है जो हमें विलय समझौते के मुताबिक मिला था। हम जम्मू कश्मीर के हक को प्राप्त करने के लिए हर संभव कोशिश कर रहे हैं।