आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भीते कल 12 साल की हर्षिता बेहद खुश थी। इस बार यह गर्मियों की छुट्टियां मनाने वह अपने माता-पिता व परिवार के अन्य सदस्यों के साथ कश्मीर घूमने जो जा रही थी। उसके परिवार ने कभी सोचा भी नहीं होगा कि उनकी लाडली जीवित घर नहीं लौटेगी। कश्मीर जाते समय जम्मू-श्रीनगर हाईवे पर रामबन जिला में अचानक पहाड़ से उनकी कार पर पत्थर गिरने से हर्षिता के सिर पर गहरी चोट आई। इसके साथ ही उसे रामबन जिला अस्पताल ले जाया गया। प्राथमिक उपचार के बाद उसे 125 किलोमीटर दूर जम्मू के गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज (जीएमसी) अस्पताल रेफर कर दिया गया। क्योंकि रामबन अस्पताल में सिर पर गहरी चोट के उपचार की व्यवस्था नहीं है। जानकारी के अनुसार देर रात जैसे-तैसे परिवार एंबुलेंस में बच्ची को लेकर जीएमसी पहुंचा, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। डॉक्टरों से हर्षिता को मृत घोषित कर दिया। हर्षिता के माता-पिता ने इस हादसे के लिए पूरी तरह से प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया है। सातवीं की छात्रा हर्षिता अरोड़ा के पिता शमशेर सिंह ने बताया कि सोमवार सुबह वह अमृतसर के शरीफपुरा से अपने बच्चों और परिवार के सदस्यों के साथ छुट्टियां मनाने श्रीनगर के लिए निकले थे। शाम करीब पांच बजे जब वह रामबन के कैफेटेरिया क्षेत्र में पहुंचे तो अचानक पहाड़ से एक पत्थर उनकी कार में खिड़की की तरफ बैठी हर्षिता को लगा और उसके सिर में गहरी चोट आई। शमशेर सिंह ने बताया कि जब हादसा हुआ तो रामबन हाईवे से वाहन धीमी गति से चल रहे थे। प्रशासन को चाहिए था कि यदि पहाड़ से पत्थर गिर रहे थे तो उन्हें यातायात को बंद कर देना चाहिए था। लोगों की जान को खतरे में डालने की क्या जरूरत थी। शमशेर ने कहा कि हादसे के बाद हर्षिता को रामबन अस्पताल ले जाया गया।
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