आपकी जानकारी के लिए बता दें कि खबर यह है कि जम्मू व कश्मीर पावर डिस्ट्रीब्यूशन कारपोरेशन लिमिटेड में कार्यरत 15 हजार कर्मचारियों जिनमें चीफ इंजीनियरों से लेकर फील्ड कर्मचारी 9 सितंबर को एक दिवसीय विरोध अवकाश पर जाने की घोषणा की है। इसके साथ ही हालांकि इस आंदोलन की शुरूआत इंजीनियरों ने अपनी मांगों के समर्थन की परंतु विभाग के अन्य कर्मचारियों ने भी उनके आंदोलन को सफल बनाने के लिए अपना समर्थन देने का एलान किया है। घबराने वाली बात यह है कि इंजीनियरों के समर्थन में बिजली निगम के अन्य कर्मचारियों जिनमें क्लर्क से लेकर फील्ड स्टाफ भी शामिल है, के हड़ताल पर चले जाने से प्रदेश की बिजली सप्लाई व्यवस्था प्रभावित हो सकती है। 24 घंटे तक चलने वाली इस हड़ताल के दौरान जम्मू व कश्मीर बिजली निगम के सभी 15 हजार कर्मचारी कोई काम नहीं करेंगे। अगर मौसम ने साथ नहीं दिया और भीषण गर्मी के बीच किसी भी क्षेत्र में तकनीकी खराबी के कारण बिजली गुल होती है तो वहां रहने वाले लोगों को 24 घंटों तक बिना बिजली ही रहना पड़ेगा। उस समय न तो कोई लाइनमैन आपकी बात सुनेगा और न ही कोई चीफ इंजीनियर। हालांकि इमरजेंसी सर्विसिस को हड़ताल से बाहर रखा गया है। जे एंड के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग ग्रेजुएट्स एसोसिएशन के प्रधान सचिन टिक्कू ने आज पत्रकारों को संबोधित करते हुए इस बात की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि पिछले दो सालों से प्रशासन उनकी मांगों को लेकर टालमटोल का रवैया अपनाए हुए है। जूनियर इंजीनियर के रिक्त पदों को भरने का मामला हो या फिर इंजीनियरों की पदोन्नति का, उनकी फाइलें पिछले एक साल से सचिवालय में दबकर रह गई हैं।