आपकी जानकारी के लिए बता दें कि विधानसभा में विस्थापित कश्मीरियों के लिए दो और गुलाम कश्मीर से आए विस्थापितों के लिए एक सीट के आरक्षण के प्रावधान करनेसके स का विधेयक लोकसभा में पेश किया गया। साथ ही जानकारी के अनुसार गृहमंत्री अमित शाह की ओर से गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने विधेयक को पेश किया। इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर तीन अन्य संशोधन विधेयक समेत कुल चार संशोधन विधेयक लोकसभा में पेश किये गए। इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर में विधानसभा सीटों के परिसीमन करने के गठित आयोग की सिफारिश के अनुरूप विस्थापित कश्मीरियों और गुलाम कश्मीर से आए विस्थापितों का विधानसभा में प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए यह विधेयक लाया गया है। बता दें कि विधेयक के अनुसार, विस्थापित कश्मीरियों में जिन दो लोगों को विधानसभा में नामित किया जाएगा, उनमें से एक महिला का होना अनिवार्य है। वहीं सरकार ने साफ कर दिया कि गुलाम कश्मीर से आए विस्थापितों के लिए एक सीट आरक्षित किये जाने का जम्मू-कश्मीर विधानसभा में गुलाम कश्मीर के लिए खाली रखे गए 24 सीटों पर कोई असर नहीं होगा। विधेयक में साफ कर दिया गया है कि पाकिस्तान के कब्जे में होने के कारण भले ही गुलाम कश्मीर के लोग अपना प्रतिनिधि नहीं चुन पा रहे हों, लेकिन समय आने पर वे अपना प्रतिनिधि चुनकर भेज सकते हैं। इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर परिसीमन आयोग ने विधानसभा में सीटों की संख्या 107 से बढ़ा कर 114 कर दी थी, जिनमें पहली बार नौ सीटें अनुसूचित जनजातियों के आरक्षित किया गया। साथ ही तीन नए सदस्यों के नामित होने के बाद सदस्यों की कुल संख्या 117 हो जाएंगी। इसके अलावा बालमिकी समुदाय को अनुसूचित जाति की सूची में शामिल करने और गड्डा ब्राह्मण, कोली, पड्डारी जनजाति और पहाड़ी समुदाय को जनजाति की सूची में शामिल करने के लिए भी संशोधन विधेयक लोकसभा में पेश किये गए। इसके साथ ही एक अन्य संशोधन विधेयक ओबीसी जाति के लोगों को जाति प्रमाण पत्र जारी करने में उत्पन्न हो रहे भ्रम को दूर करने के लिए लाया गया है। इसके साथ ही कश्मीर सामाजिक व शैक्षिक पिछड़ा वर्ग आयोग ने इसके लिए जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन कानून 2019 के कुछ प्रावधानों में संशोधन की सिफारिश की थी।